भारत-चीन के तनाव के बीच चीन से मैन्यूफैक्चरिंग को भारत में शिफ्ट करने की योजना बना रहे हैं मैन्यूफैक्चरर्स

- कई मैन्यूफैक्चरर्स भारत में अपनी क्षमताओं को मजबूत करना चाहते हैं
- कई चाइनीज ब्रांड भी मैन्यूफैक्चरिंग को भारत में शुरू कर सकते हैं
दैनिक भास्कर
Jun 22, 2020, 09:57 PM IST
मुंबई. भारत और चीन के बीच चल रहे तनाव में एक नया मामला सामने आया है। खबर है कि भारतीय कांट्रैक्ट मैन्यूफैक्चरर्स चीन से अपनी मैन्यूफैक्चरिंग को भारत में शिफ्ट करने की योजना बना रहे हैं। अगर ऐसा होता है तो इससे चीन को बड़ा झटका लग सकता है।
सरकार आयात शुल्क में कर सकती है वृद्धि
भारतीय कॉन्ट्रैक्ट मैनुफैक्चरर्स ने कहा कि देश में टेलीविजन, एसी, माइक्रोवेव ओवन, जूते, स्पीकर, इयर फोन, सेट-टॉप बॉक्स और कपड़ों जैसे देसी उत्पाद बनाने के लिए ब्रांडों से मांग में वृद्धि हुई है। ऐसा इसलिए क्योंकि कंपनियों को ‘मेड इन चाइना’ उत्पादों के खिलाफ ग्राहकों से आ रहे रिएक्शन से डर लगने लगा है। उम्मीद जताई जा रही है कि गैलवान संकट के कारण चीन के खिलाफ जवाबी कदम के रूप में सरकार आयात शुल्क में वृद्धि कर सकती है।
पहले से ही आयात का विकल्प तलाश रही थीं कंपनियां
डिक्सन, वीडियोटेक्स इंटरनेशनल, SSIPL जैसे थर्ड पार्टी मनुफैक्चरर्स ने कहा कि कंपनियां पहले से ही तैयार उत्पादों के आयात पर अपनी निर्भरता को कम करने के विकल्प तलाश रही थीं। हालांकि हाल ही में सीमा मुद्दे पर सरकार और स्थानीय विरोध के मद्देनजर पिछले एक सप्ताह में इस दिशा में तेजी से प्रगति हुई है। हालांकि कंपनियों ने कहा कि चीन अभी भी कच्चे माल की सोर्सिंग में एक बड़ा हिस्सा निभाएगा क्योंकि कोई अन्य प्रतिस्पर्धी देश ऐसा नहीं करता है।
ग्राहक मेड इन इंडिया में दिलचस्पी दिखा रहे हैं
इंडिया चाइना ट्रेड सेंटर के अध्यक्ष वी के मिश्रा ने कहा कि कंपनियां भारत सरकार के फैसलों के अनुसार काम करेंगी। अगर भारत आयात पर कुछ अतिरिक्त ड्यूटी थोपता है तो वे तुरंत विकल्प की तलाश करेंगे। डिक्सन टेक्नोलॉजीज के अध्यक्ष सुनील वाछानी ने कहा कि ब्रांड टैरिफ प्रतिबंध से खुद को डी-रिस्क करने की कोशिश कर रहे हैं जो सरकार चीन के खिलाफ लगा सकती है। उन्होंने कहा कि ग्राहक उत्पाद की ओरिजिन और मेड इन इंडिया के लिए अधिक रुचि दिखा रहे हैं जो इन्क्वायरी में इस तरह की वृद्धि को और भी बढ़ा रहा है।
अगले साल तक बदलने की उम्मीद
सीईएएमएस के अध्यक्ष कमल नंदी ने कहा कि कि 30 प्रतिशत एयर कंडीशनर भारत में आयात किए जाते हैं और अधिकांश माइक्रोवेव ओवन, जिनमें से ज्यादातर चीन से आते हैं। उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि ये अगले साल तक बदल जाएंगे क्योंकि कई निर्माता भारत में अपनी क्षमताओं को मजबूत कर रहे हैं। वीडियोटेक्स इंटरनेशनल के निदेशक अर्जुन बजराज ने कहा कि टीवी में नए प्लेयर्स सहित कई ब्रांड कॉन्ट्रैक्ट मैन्यूफैक्चरर्स के साथ स्थानीय स्तर पर उत्पादन शुरू करना चाहते हैं।
कंपनी पहले से ही 15 टेलीविजन ब्रांडों का डिजाइन और निर्माण करती है। यहां तक कि वनप्लस और रियलमी जैसे चाइनीज ब्रांड्स भी अपनी टीवी की मैन्यूफैक्चरिंग भारत में करेंगे ।
लागत बढ़ी तो भी मैन्यूफैक्चरर्स भारत में ही करेंगे काम
प्यूमा, असिक्स, लोट्टो और पावर जैसे ब्रांडों के लिए निर्माण करने वाले एसएसआईपीएल ग्रुप के प्रबंध निदेशक ऋषभ सोनी ने कहा कि कई ब्रांडों ने न सिर्फ भारत बल्कि आसियान राष्ट्रों में अपने चीन उत्पादन को स्थानांतरित करने के लिए बातचीत बढ़ाई है। जूता निर्माता वुडलैंड इंडिया के प्रबंध निदेशक हरकीरत सिंह ने कहा कि जहां यह चीन से विशेष जूते आयात करता है, वहीं यह भारत सहित नए सोर्सिंग के रास्ते देख रहा है। उन्होंने कहा कि उत्पादन की लागत 5-10 प्रतिशत तक बढ़ सकती है, लेकिन हम इसे सहन कर लेंगे।
कई उत्पादों की पहचान की जा रही है
इस बीच, क्लोदिंग मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएमएआई) एक लिस्ट तैयार कर रहा है। यह लिस्ट उन प्रोडक्ट्स की है जो वर्तमान में चीन से आयात होते हैं। उन उत्पादों की पहचान कर रहे हैं जिनकी मैन्यूफैक्चरिंग को भारत शिफ्ट किया जा सकता है। सीएमएआई के राहुल मेहता ने कहा कि अगर ग्राहक और भी आक्रामक रुख अपनाते हैं तो उद्योग तत्काल कदम उठाने के लिए मजबूर होंगे।
मिश्रा ने कहा कि कुछ कंपनियां उन देशों के माध्यम से उत्पादों को रूट करने पर विचार कर रही हैं जो आसियान देशों और बांग्लादेश के मामले में भारत और चीन दोनों से व्यापार रियायतों का आनंद लेते हैं ।