डार्क वेब पर साइबर अपराधियों ने 2.9 करोड़ भारतीयों की निजी जानकारी डाली, ऐड्रेस-फोन जैसी डिटेल की लीक

- ऐसी जानकारी से साइबर अपराधी दूसरे लोगों के नाम पर घोटाला या जासूसी जैसे कार्यों को अंजाम देते हैं
- नौकरी संबंधी जानकारी देने वाली कई नामी भारतीय वेबसाइट के स्क्रीनशॉट भी साइबिल ने पोस्ट किए हैं
दैनिक भास्कर
May 23, 2020, 09:37 AM IST
नई दिल्ली. एक बार फिर भारतीय यूजर्स का पर्सनल डेटा लीक होने का मामला सामने आया है। साइबर अपराधियों पर नजर रखने वाली ऑनलाइन इंटेलीजेंस कंपनी साइबिल के मुताबिक साइबर अपराधियों ने 2.9 करोड़ भारतीयों की निजी जानकारियां डार्क वेब पर लीक कर दी हैं। हाल ही में इस कंपनी ने फेसबुक और ऑनलाइन एजुकेशन वेबसाइट अनएकेडेमी पर यूजर्स का डेटा हैक होने की जानकारी भी दी थी।
Hacker Shares Personal Details of 29.1 Million Indian Jobseekers for Free!!https://t.co/7n53xlVOqz#cyber #cybersecurity #databreach pic.twitter.com/tPsoGN4EaJ
— Cyble (@AuCyble) May 22, 2020
ऐड्रेस, ईमल, फोन जैसी डिटेल लीक
साइबिल ने कहा कि नौकरी की तलाश कर रहे 2.91 करोड़ भारतीयों का डेटा लीक किया गया है। इस बार बड़ी संख्या में डेटा की चोरी हुई है और उसे डार्क वेब पर डाला गया है। इसमें एजुकेशन, ऐड्रेस, ईमल, फोन, योग्यता, कार्य अनुभव जैसी कई संबंधी निजी जानकारियां शामिल हैं। नौकरी संबंधी जानकारी देने वाली कई नामी भारतीय वेबसाइट के स्क्रीनशॉट भी साइबिल ने पोस्ट किए हैं। फिलहाल कंपनी उस सोर्स का पता लगा रही है, जहां से डेटा लीक हुआ है।
लोगों के नाम पर हो सकता है घोटाला
साइबल ने कहा है कि साइबर अपराधी ऐसी जानकारी जुटाकर दूसरे लोगों के नाम पर घोटाला या जासूसी जैसे कार्यों को अंजाम देते हैं। हाल ही में एक रिपोर्ट में खुलासा किया था कि भारतीय फर्मों ने अपने कामकाज पर रैंसमवेयर वायरस के दुष्प्रभाव को खत्म करने के लिए औसतन आठ करोड़ रुपए से अधिक की फिरौती दी है।
फिरौती के लिए वायरस अटैक
बीते 12 महीनों में कुल मिलाकर 82 फीसदी भारतीय फर्मों पर फिरौती के लिए रैंसमवेयर वायरस के हमले भी किए गए हैं। रिपोर्टों के मुताबिक, साल 2017 से अब तक रैंसमवेयर के हमलों में 15 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
क्या है डार्क वेब?
डार्क वेब इंटरनेट का ही हिस्सा है, लेकिन इसे सामान्य रूप से सर्च इंजन पर नहीं ढूंढा जा सकता। इस तरह की साइट को खोलने के लिए विशेष तरह के ब्राउजर की जरूरत होती है, जिसे टोर कहते हैं।